Covid-19 FLiRT Variant 2024: कोरोना के नए वेरिएंट FLiRT से विश्वभर में चिंता बढ़ी, वैक्सीन और बूस्टर से भी सुरक्षा नहीं, जानें क्या हैं लक्षण, कैसे करें बचाव


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कोरोना वायरस के प्रकोप का अंत होता नहीं दिख रहा है। हाल ही में, अमेरिका में कोरोना के एक नए स्वरूप FLiRT का पता चला है, जिसमें दो नए म्यूटेशन KP.2 और KP 1.1 शामिल हैं। इस नए वेरिएंट के फैलने से अमेरिका में कोरोना की एक नई लहर उठने की संभावना जताई जा रही है। यह नया वेरिएंट ओमीक्रोन समूह का हिस्सा माना जा रहा है। कोरोनावायरस में नए म्यूटेशन के कारण अब कई नए उप-प्रकार सामने आ रहे हैं। इसके बारे में डिटेल आपको नीचे देखने को मिलेगी

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Covid-19 FLiRT Variant 2024: कोरोना के नए वेरिएंट FLiRT से विश्वभर में चिंता बढ़ी, वैक्सीन और बूस्टर से भी सुरक्षा नहीं, जानें क्या हैं लक्षण, कैसे करें बचाव

Covid-19 FLiRT Variant 2024

इस बार, कोरोना वायरस के नए सब-वैरिएंट को ‘FLiRT’ (फिलिर्ट) का नाम दिया गया है। विश्वभर में कोरोना महामारी का प्रकोप अभी भी जारी है। नवीनतम रिपोर्ट्स के अनुसार, वायरस में नया म्यूटेशन होने के कारण नए प्रकार के वैरिएंट्स सामने आए हैं। इस नवीन म्यूटेशन से उत्पन्न सब-वैरिएंट को ‘FLiRT’ (फिलिर्ट) कहा जा रहा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह नया वैरिएंट ओमिक्रॉन वंश से संबंधित है और इसे JN.1 वैरिएंट का एक रूप माना जा रहा है, जिसके कारण पिछले वर्ष कई देशों में संक्रमण की दर में तीव्र वृद्धि देखी गई थी।

वायरस ने बदला अपना रूप

अमेरिकी समाचार स्रोतों के अनुसार, कोरोना का यह नवीन वैरिएंट अपशिष्ट जल के अध्ययन में पाया गया है। हाल ही में, डेटा वैज्ञानिक जे. वेइलैंड ने अपने मॉडल के माध्यम से यह संकेत दिया कि लोगों को कोरोना संक्रमण के प्रति पुनः सचेत रहने की आवश्यकता है। वैज्ञानिकों की एक टीम ने खुलासा किया कि इस नए वैरिएंट में कुछ ऐसे म्यूटेशन मौजूद हैं जो चिंता का विषय बन सकते हैं। गर्मी के मौसम में, अमेरिका समेत कई अन्य देशों में इस नए वैरिएंट के फैलाव के कारण कोरोना के मामलों में वृद्धि होने की संभावना है।

अमेरिका के येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डीन, डॉ. मेगन एल. रैनी ने बताया कि कोरोना के नए वैरिएंट ‘फिलिर्ट’ में स्पाइक प्रोटीन के संरचना में बदलाव देखा गया है। यह परिवर्तन वायरस को मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली को बाईपास करने और लोगों को संक्रमित करने की क्षमता प्रदान करता है।

विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि मात्र 22% अमेरिकी वयस्कों को ही नवीनतम कोविड वैक्सीन उपलब्ध हुई है। इसके अलावा, कई लोगों को आखिरी बार वायरस से संक्रमित हुए काफी समय बीत चुका है, जिससे उनकी शरीर की वायरस से लड़ने की क्षमता में कमी आई है। इस परिस्थिति में, नए वैरिएंट से संक्रमण की संभावना और इसके गंभीर रूप लेने का खतरा बढ़ जाता है।

बूस्टर डोज़: सुरक्षा की गारंटी नहीं

बफेलो यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ, डॉ. थॉमस ए. रूसो का कहना है कि न केवल अमेरिका में, बल्कि दुनिया भर में प्रतिरक्षा क्षमता वाले व्यक्तियों की संख्या कम है। इससे कोरोना के किसी भी नए वैरिएंट के उदय पर एक और महामारी लहर आने की संभावना है, जो हमारी संवेदनशीलता को बढ़ा सकती है।

इसके अलावा, विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि जिन व्यक्तियों को नवीनतम कोविड बूस्टर डोज़ मिली है, उन्हें भी संभावित उछाल के खिलाफ पूर्ण सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती है। प्रत्येक नए वैरिएंट में देखे गए म्यूटेशन, संक्रमण के जोखिमों को और भी बढ़ा सकते हैं।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक प्रीप्रिंट अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि नवीनतम बूस्टर शॉट्स भी JN.1 वैरिएंट और इसके सब-वैरिएंट्स के खिलाफ पूर्ण सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते हैं।

यह भी महत्वपूर्ण है कि JN.1 वैरिएंट ने सर्दियों के दौरान विश्वव्यापी स्तर पर फैलना शुरू किया था और वर्तमान में यह अमेरिका में कोविड-19 के मामलों का 95% कारण बना हुआ है। केवल अमेरिका में ही, इस वैरिएंट के कारण दिसंबर में संक्रमण के मामले में 21% की वृद्धि हुई थी और जनवरी के तीसरे सप्ताह तक यह वृद्धि 85% तक पहुंच गई थी।

टीकाकरण: कोरोना से सुरक्षा का सर्वोत्तम उपाय

कोरोना वायरस के बढ़ते खतरों को देखते हुए वैज्ञानिकों ने बताया है कि हालांकि बूस्टर शॉट्स के प्रभाव को लेकर कई प्रश्न उपस्थित हैं, फिर भी वर्तमान में टीकाकरण ही कोरोना के खतरों से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। खासकर उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें अभी तक नवीनतम बूस्टर शॉट नहीं मिला है और जो 65 वर्ष से अधिक आयु के हैं या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उनके लिए बूस्टर डोज और भी जरूरी हो जाता है।

वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि चूंकि वायरस लगातार विकसित हो रहा है और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ रही है, इसलिए सुरक्षा के लिहाज से वार्षिक बूस्टर डोज़ की सिफारिश भी जरूरी होती जा रही है।

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