कवच टेक्नोलॉजी क्या है? | Kavach Technology Kya Hai? (WHAT IS KAVACH Technology?)

Kavach Technology Kya Hai? – जानिए कवच टेक्नोलॉजी क्या है, ये कैसे काम करती है तथा क्यूँ इसे ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम कहा जाता है?

Kavach technology Kya Hai?
कवच टेक्नोलॉजी क्या है?

क्या है कवच सिस्टम?

Kavach Technology Kya Hai? – कवच टेक्नोलॉजी पूरी तरह हिंदुस्तान में विकसित किया हुआ ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (automatic train protection system) है। रेलवे ने इसे भारतीय रेलवे का कवच बताया है। इसका उद्देश्य ट्रेनों की टक्कर को रोकना है, ताकि भारत में ट्रेन दुर्घटनाओं को शून्य किया जाए और ट्रेन दुर्घटनाओं में लोगों की जान न जाए।

कवच सिस्टम की टेक्नोलॉजी जिसे ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (ATP) भी कहते हैं, को देश के तीन वेंडर्स के साथ मिलकर RDSO (Research Design and Standards Organisation) ने विकसित किया है। रेलवे के द्वारा यह बताया गया की कवच दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली है।

ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (कवच टेक्नोलॉजी) कैसे काम करता है?

कवच टेक्नोलॉजी रेडियो के जरिए मूवमेंट अथॉरिटी के कंटीन्युअस अपडेट के सिद्धांत पर काम करती है।जब भी कोई ट्रेन स्टॉप-सिग्नल की अनदेखी कर बिना रुके या गति कम किए उस सिग्नल से गुजर जाती, तो एक खतरे का सिग्नल जिसे passing a stop signal (SPAD) कहा जाता है, पारित किया जाता है।

इस स्थिति में अगर लोको पायलट कोई एक्शन नहीं लेता तो कवच स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है। यह उच्च आवृत्ति वाले रेडियो संचार का उपयोग करके गति के निरंतर अपडेट के सिद्धांत पर कार्य करता है। यह एसआईएल -4 (सुरक्षा अखंडता स्तर -4) के अनुरूप है जो सुरक्षा प्रमाणन का उच्चतम स्तर है।

इसमें प्रत्येक ट्रैक के लिए ट्रैक और स्टेशन यार्ड पर RFID (Radio-frequency identification) टैग दिए जाते हैं। प्रत्येक ट्रैक की पहचान, ट्रेनों के स्थान और ट्रेन की दिशा की पहचान के लिए रेडियो सिग्नल दिए जाते हैं। जिससे उस ट्रैक में चलने वाली ट्रेनों की संख्या तथा उनकी गति और दिशा का पता चलता रहता है।

ऑन-बोर्ड डिस्प्ले ऑफ सिग्नल एस्पेक्ट (OBDSA) लोको पायलटों को लगातार सूचनाएं प्रदान करता रहता है, फिर भी अगर लोको-पायलट ट्रेन को नहीं रोकता है तो, कवच टेक्नोलॉजी स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन को नियंत्रित करता है। यह सिस्टम लोको पायलट को दृश्यता कम होने पर भी बोर्ड कंसोल पर सिग्नल की जांच करने में मदद करने के लिए है।

जब एक बार कवच टेक्नोलॉजी सिस्टम सक्रिय हो जाता है उसके बाद, 5 किमी की सीमा के भीतर सभी ट्रेनें इसकी निगरानी में आ जाती है, जिससे यह पटरियों पर ट्रेनों को सुरक्षा प्रदान करता है।यह प्रणाली सैटेलाइट द्वारा रेडियो कम्युनिकेशन के माध्यम से लोकोमोटिव और स्टेशनों पर आपस में संबंध स्थापित करती है।

कवच सिस्टम के मूल घटक (Basic Components Of Kavach)

  1. TCAS (Train collision Avoidance System)- यह उपकरण मौजूदा सिग्नल इंटरलॉकिंग के साथ इंटरफेस करने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेस है।
  2. Loco TCAS Equipment: यह उपकरण ऑन-बोर्ड उपकरण है जो लोको पायलट के साथ भी इंटरफेस करता है।
  3. On Track RFID Tags: जिन्हें Loco TCAS द्वारा पढ़ा जाता है।
  4. Station TCAS और Loco TCAS के बीच निरंतर UHF (Ultra high frequency communication) संचार।

कवच टेक्नोलॉजी का परीक्षण कब और कहा हुआ?

4 फरवरी 2022 को तेलंगाना राज्य के सिकंदराबाद में ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ (Kavach) का परीक्षण किया गया। परीक्षण मे 160 किमी/प्रति घंटे की रफ्तार से एक ट्रेन और एक इंजन को एक ही पटरी पर एक दूसरे की विपरीत दिशा से एक दूसरे के तरफ चलाया गया, जैसे एक ही पटरी पर दो ट्रेन आ रही हों।

ट्रेन में भारत के वर्तमान केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे और दूसरे इंजन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन। एक ही पटरी पर आमने सामने आ रहे ट्रेन और इंजन ‘कवच’ टेक्नोलॉजी के कारण एक दूसरे से 380 मीटर दूर खुद ही रुक गए, आपस में टकराए नहीं और परीक्षण सफल रहा।

रेलवे की कवच तकनिक के क्या लाभ हैं? (Advantages of Kavach Technology)

कवच टेक्नोलोजी के माध्यम से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाई जा सकती है। आमतौर पर स्टेशन पर अन्य ट्रेनों के साथ टकराव को रोकने के लिए चालक क्रॉसिंग स्टेशनों के पास ट्रेनों को धीमा कर देते हैं इससे यात्रियों को यात्रा में देरी होती है। स्टेशन पर स्टॉप न होने पर भी ट्रेन को जबरन धीमा कर दिया जाता है। कवच तकनीक के उपयोग से इस तरह की देरी से बचा जा सकता है।

कवच टेक्नोलॉजी की क्या विशेषताएं है?

  1. कवच रेडियो के जरिए मूवमेंट अथॉरिटी के कंटीन्युअस अपडेट के सिद्धांत पर काम करती है।
  2. अगर रेल इंजन किसी कारण से ब्रेक लगाने में असमर्थ होता है तो कवच टेक्नोलॉजी स्वचालित तरीके से ब्रेक लगा देती है।
  3. एलसी गेट्स पास आते ही ड्राइवर के हस्तक्षेप के बिना “कवच” अपने आप सीटी बजाना शुरू कर देती है।
  4. ट्रेन के रेड सिग्नल के करीब पहुंचने पर अपने आप ब्रेक लग जाते हैं
  5. यह टेक्नोलॉजी लाइन-साइड सिग्नल रिपीट करती है जो उच्च गति और धुंध वाले मौसम में बेहद उपयोगी है।
  6. डायरेक्ट लोको टू लोको कम्युनिकेशन के जरिए टक्कर से बचाव
  7. किसी दुर्घटना की स्थिति में एसओएस फीचर को सपोर्ट करती है
  8. लूप-लाइन को पार करते समय कवच ऑटोमैटिक रूप से इंजन की स्पीट को घटाकर 30 किमी प्रति घंटे कर देता है
  9. वर्तमान टेक्नोलॉजी से बेहद सस्ता है।

FAQ

कवच क्या है?

कवच एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (automatic train protection system) है।

क्या कवच टेक्नोलॉजी चीन कि है?

नहीं, कवच पूरी तरह से Manufacturer in India है।

कवच सिस्टम किसने बनाया?

कवच सिस्टम को RDSO (Research Design and Standards Organisation) ने देश के तीन वेंडर्स के साथ मिलकर पूरी तरह से भारत में विकसित किया है।

कवच सिस्टम के संचालन की लागत क्या है?

अधिकारियों का कहना है कि कवच के लगने पर संचालन खर्च 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर आएगा। जो वर्तमान मे सिस्टम प्रयोग किया जा रहा है उसकी लागत 2 करोड़ प्रति किलोमीटर है।

कवच टेक्नोलॉजी का परीक्षण कहा हुआ?

तेलंगाना राज्य के सिकंदराबाद में ट्रेन ‘कवच’ (Kavach) का सफल परीक्षण किया गया।

देश में सबसे पहले कवच टेक्नोलॉजी को कहा उपयोग किया जाएगा?

देश में सबसे पहले कवच टेक्नोलॉजी को दक्षिण मध्य रेलवे में उपयोग किया जाएगा।

Conclusion

दोस्तो में आशा करता हु की आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा और आप ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (कवच टेक्नोलॉजी) के बारे मे अच्छे से समझ चुके होंगे। आप इस आर्टिकल के बारे मे अपने विचार कमेन्ट कर के हमे बता सकते है साथ ही इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करियेगा।

Show Buttons
Hide Buttons