मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है ? मकर संक्रांति पर क्यों अनिवार्य है खिचड़ी, जानिए इससे जुड़ा रहस्य


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मकर संक्रांति का त्योहार पूरे देश में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह नववर्ष के प्रारंभ के उपरांत आने वाला प्रमुख उत्सव है। यह हिंदू धार्मिक मान्यताओं में विशेष स्थान रखता है क्योंकि मकर संक्रांति के आगमन के साथ ही खरमास का अंत होता है और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

इस दिन, सूर्य देवता धनु राशि से चलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसीलिए इसे मकर संक्रांति कहते हैं। इस त्योहार को विभिन्न स्थानों पर संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी जैसे अनेक नामों से जाना जाता है। इस दिन, लोग पवित्र नदियों में स्नान करने, दान-पुण्य करने और पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ खिचड़ी बनाने, खाने और दान करने की परंपरा का अनुसरण करते हैं।

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है ? मकर संक्रांति पर क्यों अनिवार्य है खिचड़ी, जानिए इससे जुड़ा रहस्य
Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है ? मकर संक्रांति पर क्यों अनिवार्य है खिचड़ी, जानिए इससे जुड़ा रहस्य

2024 के मकर संक्रांति उत्सव की तारीख

प्रतिवर्ष, मकर संक्रांति की तारीख को लेकर भ्रमित अवस्था बनी रहती है। इस बार भी, यह अनिश्चितता बनी हुई है कि यह त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाए या 15 जनवरी को। पंचांग के आधार पर, 2024 में मकर संक्रांति सोमवार, 15 जनवरी को मनाई जाएगी।

“मकर संक्रांति के अवसर पर ‘खिचड़ी’ का विशेष महत्व क्यों है”

मकर संक्रांति के दिन, तिल, गुड़, रेवड़ी के समान, खिचड़ी की भी अपनी एक विशेषता होती है, जिस कारण इस दिन को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। खिचड़ी मात्र एक सामान्य आहार नहीं है, इसका ताल्लुक ग्रहों के साथ जुड़ा हुआ है। यह मान्यता है कि दाल, चावल, घी, हल्दी, मसाले और हरे सब्जियों के मिश्रण से बनी खिचड़ी का संबंध नवग्रहों से है। इसलिए खिचड़ी का सेवन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

खिचड़ी में प्रयोग किए जाने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से, नमक का शुक्र से, हल्दी का गुरु से, हरी सब्जियों का बुध से और खिचड़ी की गर्मी का संबंध मंगल से है। मकर संक्रांति पर बनाई जाने वाली खिचड़ी में काली उड़द की दाल और तिल का इस्तेमाल होता है, जिसके दान और सेवन से सूर्य देव और शनि महाराज की कृपा प्राप्त होती है।

खिचड़ी परंपरा का आरंभ कैसे हुआ

मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी खाने और दान करने की रीति काफी प्राचीन है। यह परंपरा बाबा गोरखनाथ एवं अलाउद्दीन खिलजी के समय से जुड़ी हुई है। पुराणों के अनुसार, जब अलाउद्दीन खिलजी और उसकी सेना का बाबा गोरखनाथ और उनके शिष्यों से संघर्ष हुआ, तो युद्ध की वजह से योगी ठीक से भोजन नहीं कर पाते थे। इसी कारण उनकी शारीरिक शक्ति कम होती जा रही थी।

इस प्रकार, बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल, और सब्जियों को संयोजित कर एक नई रेसिपी विकसित की, जिसे ‘खिचड़ी’ के नाम से जाना गया। यह एक ऐसा आहार था जो कम समय और साधारण सामग्री से बनता था, और इसे खाने से योगियों को ऊर्जा प्राप्त होती थी, जिससे वे शारीरिक रूप से बलवान बने रहते थे।

जब खिलजी ने भारत छोड़ा, तो योगियों ने मकर संक्रांति के त्योहार पर इसी प्रकार की खिचड़ी बनाकर प्रसाद के रूप में इस्तेमाल की। इसलिए, प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा है, और इसे बाबा गोरखनाथ को अर्पित करने के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने के साथ-साथ दान करने की भी विशेष महत्ता होती है।

2024 में मकर संक्रांति की तिथि

2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।

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